मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

संसद में लिडिया थॉर्प की आवाज: किंग चार्ल्स के खिलाफ ऐतिहासिक विरोध कि चार्ल्स को चुनौती दी

लीडिया थॉर्प, ऑस्ट्रेलियाई राजनीति की एक प्रभावशाली और विवादित शख्सियत, एक सीनेटर हैं जो लगातार सुर्खियों में बनी रहती हैं। हाल ही में उन्होंने उस समय ध्यान आकर्षित किया जब उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई संसद में किंग चार्ल्स को संबोधित करते हुए तीखे और चुनौतीपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया। यह घटना न केवल ऑस्ट्रेलिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा का विषय बनी। एक स्वतंत्र ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर, लिडिया थोरपे ने किंग चार्ल्स पर स्वदेशी लोगों का नरसंहार करने का आरोप लगाया है और चिल्लाया है, "आप मेरे राजा नहीं हैं।" 51 वर्षीय व्यक्ति ने सोमवार को किंग चार्ल्स के संसदीय स्वागत समारोह को बाधित करते हुए कहा, "आपने हमारे लोगों के खिलाफ नरसंहार किया है। हमें हमारी जमीन वापस दीजिए। आपने हमसे जो चुराया है वह हमें दीजिए - हमारी हड्डियां, हमारी खोपड़ी, हमारे बच्चे, हमारे लोग।" " सुरक्षाकर्मियों द्वारा हटाये जाने से पहले सुश्री थोर्प की टिप्पणियों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

लिडिया थॉर्प कौन हैं ?
ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर लिडिया थॉर्प संसद में किंग चार्ल्स का विरोध करते हुए
You are not my King': Moment King Charles is heckled 

  • प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

लिडिया थॉर्प एक आदिवासी महिला हैं, जो विक्टोरिया की गुनाईकुराई जनजाति से संबंध रखती हैं। उनका जन्म और पालन-पोषण मेलबर्न के उत्तरी हिस्से में हुआ, जहां से उन्होंने अपने समुदाय और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठानी शुरू की। उन्होंने हमेशा अपने आदिवासी मूल्यों और परंपराओं को बनाए रखा है, और उनके यही मूल्य उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को भी प्रेरित करते हैं।

  •  राजनीतिक करियर की शुरुआत

लिडिया थॉर्प ने राजनीति में कदम रखा जब उन्हें 2017 में विक्टोरिया विधानसभा के लिए चुना गया। वह विक्टोरिया राज्य विधानसभा में चुनी जाने वाली पहली आदिवासी महिला बनीं। यह एक ऐतिहासिक पल था, और इसके साथ ही उन्होंने एक मजबूत राजनीतिक मंच प्राप्त किया, जिसका इस्तेमाल उन्होंने आदिवासी अधिकारों, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक न्याय के मुद्दों को उठाने के लिए किया।

किंग चार्ल्स के खिलाफ लिडिया थॉर्प का विरोध...........

  • संसद में हुई घटना

हाल ही में, ऑस्ट्रेलियाई संसद में किंग चार्ल्स का संबोधन हुआ, जिसमें लिडिया थॉर्प ने अपनी असहमति और विरोध को मुखर किया। उन्होंने किंग चार्ल्स को "उपनिवेशवाद का प्रतीक" करार दिया और आरोप लगाया कि ब्रिटिश साम्राज्य ने आदिवासी लोगों के अधिकारों को दबाया है। उनका यह कदम एक साहसिक और विवादित बयान था, जिसने संसद में मौजूद अन्य सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा।

  • आदिवासी अधिकारों के लिए आवाज

लिडिया थॉर्प का किंग चार्ल्स के प्रति यह विरोध केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि एक प्रणाली और इतिहास के खिलाफ था। उनका मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में अभी भी आदिवासी समुदायों के साथ अन्याय हो रहा है, और वह इसके खिलाफ खड़ी हैं। उनका यह कदम आदिवासी अधिकारों और उनके समुदाय के संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने का प्रयास था।


लिडिया थॉर्प के विचार और दृष्टिकोण

  • सामाजिक न्याय और आदिवासी अधिकार

लिडिया थॉर्प हमेशा से आदिवासी अधिकारों की मुखर समर्थक रही हैं। उनका मानना है कि ऑस्ट्रेलियाई संविधान में आदिवासी लोगों को उचित मान्यता मिलनी चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। वह समानता, न्याय और मानवाधिकार के लिए आवाज उठाती हैं, जो उनके राजनीतिक एजेंडा का मुख्य हिस्सा है।

  • पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन

थॉर्प ने न केवल आदिवासी अधिकारों के लिए बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के लिए भी संघर्ष किया है। वह लगातार सरकार से मांग करती हैं कि वह जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान दें और दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करें।

लिडिया थॉर्प का प्रभाव और आलोचना

  •  राजनीतिक मंच पर उनकी लोकप्रियता

लिडिया थॉर्प ने अपने स्पष्ट और साहसिक विचारों के कारण ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में एक विशेष स्थान बना लिया है। वह अक्सर मीडिया की सुर्खियों में रहती हैं और उनके बयान और कार्य अक्सर चर्चा और बहस का विषय बनते हैं। उनके समर्थक उन्हें एक साहसी और निडर नेता मानते हैं, जो बिना किसी डर के अपनी आवाज उठाती हैं।

  •  आलोचना और विवाद

हालांकि, उनके तीखे और विवादित बयानों के कारण वह आलोचना का भी सामना करती हैं। कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं का मानना है कि उनके विचार बहुत उग्र और विभाजनकारी हैं। इसके बावजूद, वह अपने स्टैंड पर कायम रहती हैं और अपने विचारों से पीछे नहीं हटतीं।


लिडिया थॉर्प का भविष्य और उनके राजनीतिक अभियान

  •  आदिवासी अधिकारों के लिए भविष्य की योजनाएं

लिडिया थॉर्प का मुख्य एजेंडा आदिवासी अधिकारों की रक्षा और संवैधानिक मान्यता दिलाना है। वह इस मुद्दे को लेकर आगे भी संघर्ष करती रहेंगी और इसे ऑस्ट्रेलियाई संसद में प्रमुख मुद्दा बनाए रखेंगी। उनके लिए यह सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि उनके समुदाय के अस्तित्व की लड़ाई है।

  •  वैश्विक मंच पर आदिवासी आवाज

लिडिया थॉर्प की आवाज अब सिर्फ ऑस्ट्रेलिया तक सीमित नहीं है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी आदिवासी अधिकारों के लिए आवाज उठाई है, और आने वाले समय में वह वैश्विक स्तर पर अपने समुदाय के मुद्दों को और भी मजबूती से उठाने की योजना बना रही हैं।

लिडिया थॉर्प एक प्रभावशाली और प्रेरणादायक नेता हैं, जो निडरता से अपनी बात रखती हैं और आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। किंग चार्ल्स के खिलाफ उनका विरोध केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक संघर्ष का प्रतीक है। उनकी राजनीति और विचारधारा ने उन्हें ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में एक विशेष स्थान दिलाया है, और आने वाले समय में वह और भी बड़े मुद्दों को उठाने के लिए तैयार हैं।

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